डर
डर
डरता तो किसी के बाप से भी नहीं
बस श्रीमती की तर्जनी से डरता हूं
इतना नचा चुकी है वो इस उंगली से
अब और अधिक नाचने से डरता हूं
लेकिन बड़ा मज़ा आता है मुझको
जब वह बाथरूम के अंदर जाती है
वहां मरी पड़ी हुई छिपकली देखके
जब वो चिल्लाते हुए बाहर आती है
जब कोई नटखट सा कोक्रोच
आ जाता है अचानक से सामने
तब वह घबरा कर चिल्लाते हुए
मेरे सीने से चिपक जाती है
तब गिन गिन कर लेता हूं बदला
ऐसी घड़ी रोज रोज कहां आती है।