Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

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Madhu Vashishta

Action Classics Inspirational

दौलत

दौलत

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मां शारद            

दौलत पाकर अभिमान ना कीजै

दौलत आनी जानी है।

जाए जवानी आया बुढ़ापा,

जर्जर होगी तेरी काया,

तब दौलत किस काम आनी है ?


शुभ कर्मों से धन जो ना कमाया

शुभ कार्यों में मन जो ना लगाया,

आज क्यों बैठे तू पछताया,

तूने ही तो दौलत के गुमान में

सबको था खुद से दूर भगाया।


आज तेरे चाकर बहुत से है,

बंगले गाड़ी दौलत भी है।

काया का पर है साथ नहीं,

अब क्यों बैठा है उदास कहीं।

अब क्यों डरता है ए पगले,

तुझे लूटेंगे जो है तेरे अपने।

तूने ऐसा ही धन तो कमाया था।


शुभ कर्मों में कहां लगाया था।

माया का चश्मा जो चढ़ाया था,

आंखों से अपने और परायो में

तू फर्क ही कहां कर पाया था?

अब होना है तेरा हाल यही,

चंचला लक्ष्मी तो यूं ही चलेगी

इस जर्जर काया से तू

उसे रोक पाएगा भी नहीं।


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