दौलत तुम्हारी
दौलत तुम्हारी
मन में उलझनों का ताना बाना
और उसपे तुम्हारा हौले से आ जाना
गरीब सा दिल मेरा बेचारा
तुम बरसा दो ख़ुशियों का खजाना
कितनी रखी है मेरी अलमारी में
ख्वाहिशें इधर उधर बिखरी फैली
गरीब सा दिल मेरा पर बेचारा
और खाली इसकी सारी तहें
दौलत जहाँ की मेरे दर का मुख करे
बस करती नहीं तेरी हवाएं सुहानी
गरीब सा दिल मेरा यह बेचारा
मिलती नहीं जिसे दौलत तुम्हारी

