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Bhanu Soni

Abstract

5.0  

Bhanu Soni

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दास्तान इश्क़ की

दास्तान इश्क़ की

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है,आम फसाना इश्क़ का

दुनिया में बड़ा बदनाम है। 

जो बहती रगों को थाम ले, 

बस इश्क़ उसी का नाम है। 


मक़सद नहीं है, सुनाना मेरा,   

जो किस्से बरसो से इश्क़ के नाम हैं। 

खो गयी हैं लेकिन रुह कहीं,

लबों पर बस कोरा एक नाम हैं। 


वो दौर भी था, बहुत खूबसूरत कभी, 

जब इश्क़ में ईश्वर समाया था। 

क्या बात करुँ, आज के मंजर की

जहाँ कदमों में कुचलता, 

दिल का हर पैगाम है। 


इश्क़ इबादत है, उस रब की, 

जिसने इश्क़ से दुनियां बनायी थी। 

प्यार भरा था दो दिलों में जब, 

तब सृष्टि उभर कर आयी थी। 

क्या दौर था वह, जब हर रिश्ता 


प्यार की अपनी कहानी लिखता था। 

लेकिन देखों आज हर रिश्ता, 

टुटे खिलौनों सा सरेआम हैं। 

कुरूक्षेत्र का दौर भी पढा़ हमने, 


जहां स्वार्थ कहीं, लेशमात्र न था। 

फिर हुई चिंता भविष्य की, 

फिर कुछ न बचा, अरे कुछ न बचा।

क्यूँ नहीं बदलती अब ये सूरत, 


क्यूँ ये मंजर नहीं बदलता हैं। 

धराशायी है हर रिश्ता, 

लालच दूर खड़ा हुआ हँसता है। 

प्यार मन का वो अटुट धागा हैं, 

जो हमें अपनों से बाँधे रखता है। 


प्यार है, तभी तो सब कहते है, 

मेरे दिल में भी खुदा बसता है। 

जो यहाँ है, यहीं रह जायेगा, 

तुम इसका कभी अभिमान न करो। 


प्यार वजूद है हमारे अक्स का भी, 

तुम इससे साक्षात्कार करों। 

फिर से कोमल भावनाओं की नदी बहे, 

फिर से ममता का बहे सागर। 


हम फिर से लिखे कहानी नयी, 

हो प्यार भरी, सौहार्द भरी,

जिसमें मायूसियाँ सभी मिट जाये

दीप जलाएं विश्वास का हम, 

और प्यार एक बार अमर फिर हो जाएं।


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