STORYMIRROR

Pradeepti Sharma

Inspirational

3  

Pradeepti Sharma

Inspirational

दाग़

दाग़

1 min
223

मिटा दो उन काले धब्बों को 

जो लगाए थे, 

घृणा, जलन, और अहंकार ने, 

इस पावन कोमल मन पे।


कुछ बूँदे दर्द की, 

कुछ आहें कष्ट की, 

कुछ वेदना यादों की, 

सब ज़रूरी है।


धुँधला करने के लिए, 

इन गहरे दाग़ों को, 

कब तक छुप पाओगे खुदसे, 

एक दिन सामना करना ज़रूरी है। 


तो आज ही क्यों नहीं, 

साँसों को भरो, 

आँखें मूँद कर, 

मंद हँसी के साथ।

 

मिटा दो इस काली गहरी छाप को, 

अंतर्मन की चमक, 

और स्वयं की आभा, 

दोनों को प्रकाशित होते देखो।

 

महसूस करो सुकून को, 

बेदाग़ को बेदाग़ देखकर।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational