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Shubhra Varshney

Inspirational

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Shubhra Varshney

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चमके हिन्दी बन अंबर में आदित्य

चमके हिन्दी बन अंबर में आदित्य

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छिन्न-भिन्न कर देती तिमिर परे हटाती कुहासा,

सकल विश्व की शिरोमणि हमारी हिन्दी भाषा।

गौरवशाली मस्तक निहित है ज्ञान व विज्ञान,

गंगा सी पावन उज्ज्वल है राष्ट्र का अभिमान।

संस्कृत उद्गमस्थली है कालजयी सहज अंग,

है अस्मिता हमारी सहेज जीवन का हर रंग।

आशा है हर सांस की बन जीवन का आधार,

बढ़ाकर प्रेम पिपासा करे मानव का उद्धार।

शारदापुत्री, धराश्रेष्ठा वाणी मधुरस बरसाती,

सहज क्लिष्ट शब्द ध्वनि कर्णमिश्री बन जाती।

अक्षर अक्षर प्रेमपूरित है संस्कृति का आलय,

हिन्दी भाषा सर्वोपरि है सर्वभाषा विद्यालय।

शब्द शब्द में छुपा ज्ञान हिन्दी हृदय पटल पर छाई,

पूरब से पश्चिम तक धरा पर सबके मन को भाई।

जन जन की बातों में बसी हिन्दी है जननी के समान,

बन के लहू नस नस में दौड़े हिंदी है प्रभु का वरदान।

हिंदी में नवरस बहे हिंदी सजाती शब्द अलंकार,

संस्कृति, साहित्य ,सभ्यता है हिंदी के ही प्रकार।

भारत भूमि की धड़कन सहज मृदु गुणों की खान,

बारंबार नमन तुम्हें हिंदी तुमसे जनमानस कल्याण।

है संस्कृतियों का समागम निहित इसी में साहित्य,

चम चम चमके तेजस्वी हिंदी बन अंबर में आदित्य।

देवनागरी लिपि में रची हिन्दी भारत का स्वाभिमान,

सबसे परिष्कृत सबसे मीठी हिंदी हिंदुस्तान की शान।

हिंदी बनाए कृति यही गढ़ती शब्दों की आकृति,

सहज इसका आधीन है सभी भाषाओं की प्रकृति।

वृहद विशाल शब्दावली हिंदी संग करे कमाल,

मानस में घोल शब्द सरल हिंदी हमारी बेमिसाल।



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