चलती का नाम ज़िन्दगी
चलती का नाम ज़िन्दगी
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मोहब्बत के सफर में हमसफ़र बन गुज़ारेंगे ज़िन्दगी,
संग चलते रहेंगे सहारा बन शिकायतें ना करेंगे कभी,
हमारी जोड़ी बहुत सोच समझकर प्रभु ने बनायी,
तभी तो तुम्हारा दाहिना तो मेरा बाहिना पैर नहीं,
प्रेम की इस डगर पर मैं तुम्हारी बैसाखी बन जाऊँगी,
थामे रखना हाथ बस मोहब्बत की राहें छोड़ना नहीं,
पगदण्डी टेढ़ी मेढ़ी और मंज़िल है सूदूर काँटों भरी,
लड़खड़ा रहे हो पैर भले ही पर हौंसले हम हारेंगे नहीं,
दया की भीख से नहीं जीना,ना ही चाहिए बेचारगी,
पर भले ही कट गये हो पर अभी हैं ख़्वाबों की उड़ान बाकी।