चलो कुछ लिखते हैं
चलो कुछ लिखते हैं
चलो, कुछ लिखते हैं
नाम जिंदगी के, कुछ शब्द करते हैं
चलो, खिलते, महकते फूलों पे लिखते हैं
पर वो तो पल में ही टूट कर बिखरते हैं
चलो, कुछ और लिखते हैं
चलो, उड़ते, चहकते परिंदों पर लिखते हैं
पर वो तो चंद लम्हों में अजनबी से लगते हैं
चलो, कुछ और लिखते हैं
चलो, इन काले घुमड़े बादलों पर लिखते हैं
पर ये तो क्षण भर में पानी बन बरसते हैं
चलो, कुछ और लिखते हैं
चलो, मैं तुम पर लिखता हूं कुछ
तुम्हारा खिलता चेहरा महकती काया,
तुम्हारे उड़ते केश, तुम्हारे चहकते शब्द,
तुम्हारे काले नैन, जो न जाने मुझ पर
कितने अनायास ही वार करते हैं
चलो, कुछ लिखते हैं
नाम तुम्हारे कुछ शब्द करते हैं
चलो कुछ लिखते हैं।

