चले आते है
चले आते है
क़दम ब क़दम रख, वो ख़ूब खिरामी चले आते है
अज़ीज़ जान ए मन, अज़ीज़ गिरामी चले आते है
ख़ूब खिरामि ( सुंदर चाल )
अज़ीज़ गिरामी ( प्रिय आदरणीय )
निगह ए नाज़ ओ अदा, तर्ज़ ए दिलबरी को वोह
हम सफ़र ओ हम जुबां, हम कलामी चले आते है
यक ब यक बरौशन है जिससे, ये चराग ए बे रौशन
रौशन ए चराग को वो, माह किनआनी चले आते है
माह किनानी ( किनआन मिश्र का एक शहर है जिसे चांद का शहर भी कहा जाता है )
मय कशी ओ दिल कशी संभाली नहीं जाती 'हसन'
केह पिलाने को वोह कुहन इंतिज़ामी चले आते है।