चीत्कार
चीत्कार
कब तक मरती रहेंगी बेटियाँ,
कब तक सहेंगी अत्याचार..
कानून यहाँ कमजोर पड़ा है,
बढ़ रहा दिनों दिन भ्रष्टाचार..
हर रोज बने एक नयी निर्भया,
फिर भी चुप बैठी सरकार...
अपनी कुर्सी बचा रहे सब,
जनता कर रही हाहाकार...
मूक होकर सब खबर देखते,
कब सुनोगे अंतर्मन की पुकार..
मौत के घाट उतारो उनको,
खत्म करो यह हवसी चीत्कार..