छुवन का जादू।
छुवन का जादू।
रात का तीसरा पहर
और आसमान के सीने
पर झिलमिलाते ये सितारे हैं।
मेरे हाथों में तुम्हारा हाथ
और कलकल बहती उस
नदी का किनारा है।
तुम्हारी छुवन का जादू
और रोम-रोम लांघता
मेरी देह का दायरा है।
चिकनी मिटटी सा लेप
और तुम्हारे बोसों का
अनगिनत काफिला है।
मैं हूँ तुम्हारी बाँहों की
गिरफ्त में और सुकून
पाती मेरी रूह है !

