छुअन बसंती
छुअन बसंती
छुअन बसंती बनकर मीठा प्यार महकती है
बेला की कलियाँ पौधों पर
खिल खिल जाती हैं,
मृदुल भावनाएँ ख्वाबों से
मिल मिल जाती हैं।
श्वांस श्वांस जैसे मीठी मनुहार महकती है
छुअन तुम्हारी बनकर मीठा प्यार महकती है।
पुष्प वृन्त में कली सलोनी
खिलने को आतुर,
कलकल करती नदी सिंधु से
मिलने को आतुर।
तरु शाखों पर चिड़ियों की चहकार महकती है
छुअन तुम्हारी बन कर मीठा प्यार महकती है।
तितली के पंखों पर जब जब
रंग बिखरते हैं,
अनियारी आँखों में कितने
स्वप्न सँवरते हैं।
याद तुम्हारी बन सारा संसार महकती है।
छुअन तुम्हारी बनकर मीठा प्यार महकती है।