छोटी सी जान
छोटी सी जान
आँखें जो ले डूबी है मैं क्या करूँ जहान का
सौदा न कर सकी मैं छोटी सी ये जान का।
निकली बड़ी बेअदब सी तेरी आँखें क्यूँ भला
किसने पता दिया है कदमों के निशान का।
गुफ़्तगू की दिल ने मेरे दीवानगी थी ये तेरी
क्या करेगा खुदा भी ऐसे हम इंसान का।
कब तक छूता कोई दिलें दर दीवार को
नक्शा बदल गया है पुराने मकान का।
माना नजर तेरी थी मोहब्बत भरी हुई
फीका लगा है चाँद "नीतू" से आसमान का।