STORYMIRROR

Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Others

4  

Nitu Rathore Rathore

Abstract Romance Others

छोटी सी जान

छोटी सी जान

1 min
278


आँखें जो ले डूबी है मैं क्या करूँ जहान का

सौदा न कर सकी मैं छोटी सी ये जान का।


निकली बड़ी बेअदब सी तेरी आँखें क्यूँ भला

किसने पता दिया है कदमों के निशान का।


गुफ़्तगू की दिल ने मेरे दीवानगी थी ये तेरी

क्या करेगा खुदा भी ऐसे हम इंसान का।


कब तक छूता कोई दिलें दर दीवार को

नक्शा बदल गया है पुराने मकान का।


माना नजर तेरी थी मोहब्बत भरी हुई

फीका लगा है चाँद "नीतू" से आसमान का।




Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract