छलावा से भरे इस प्यार की
छलावा से भरे इस प्यार की
जिससे हमें है प्यार उससे ही उन्हें भी प्यार है
उनको हमारे प्यार पर शक है, यही तकरार है।
खुद को बताते भक्त हमको कह रहे गद्दार वे
धमका रहे हमको उठाकर हाथ में हथियार वे।
सुनते नहीं हैं तर्क, सहते भी न शब्द विरोध के
हम नागरिक हैं झेलते हैं बोल उनके क्रोध के।
सरदार उनके साथ है, सरदार के वे साथ हैं
इस बार तो सरदार के भी अधिक लंबे हाथ हैं।
इस भूमि के तो पुत्र हम भी हैं, न केवल हैं वही
उनके इरादों में सनक सामंतवादी छा रही।
इतिहास उनके झूठ का छल का हमें भी याद है
इस देश के प्रति प्यार उनका शुद्ध फांसीवाद है।
मत भूलिए टिकती नहीं सत्ता सदा तलवार की
खुल जाएंगी परतें छलावों से भरे इस प्यार की।

