STORYMIRROR

Anita Sudhir

Classics

4  

Anita Sudhir

Classics

छल बल

छल बल

1 min
366

पल ये कैसा आ गया, कैसी लाचारी।

हवा चली अब लोभ की, बढ़ती गद्दारी।।

कमी धैर्य की हो रही, पल में सब पाना।

किसी तरीके से सही, सुख पाते जाना।।


कोई तर्कों से छले, झूठ सदा जीता।

कोई बल प्रयोग करे, कोई विष पीता।।

भैंस सदा उसकी रही, प्रबल रही लाठी।

छल बल धोखे से रहे, उत्तम कद काठी।।


छुरी पीठ में भोंकता, भोला भाला वो।

कोई रिश्तों में छले, मन का काला वो।

मीठी वाणी से दिये, अपनों को धोखा।

छल बल उत्तम मानते, रंग लगे चोखा।।


सत्य मार्ग पर पग बढ़े, चलो शपथ खायें।

छल बल जीवन में नहीं, ये कसम निभायें।।

नाश अहम का जो करे, जग में सुख पाता।

सतकर्मों से वो सदा, झोली भर पाता।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics