छाया
छाया
शीतल मन
तुम छाया हो
प्रेम में लिपटी
तुम माया हो,
अल्हड़ सी
मैं प्रेम दीवानी
तुम मेरे प्राण
तुम काया हो,
है साँस
सिरहन सी
तुम बिन
मैं विरहन सी
व्याकुल
तुझ बिन
साजन!
खोकर
तुमको
मर जाऊँ
मैं
तुम बिन
कहाँ जाऊँ
मैं,
ये यकीन
तुम मुझे
दिला दो
आकर
मुझको
गले लगा लो
कह दो
कभी ना
जाओगे
ऐसे
कभी ना
तड़पाओगे।।
शीतल मन
में
बस जाओ
प्रेम
परिभाषा
बतलाओ।।