चौथा स्तम्भ...
चौथा स्तम्भ...
चौथा स्तम्भ हूं मैं
लोगों के घर तक
खबर भिजवाता हूं मैं ...।
फिर भी मेरी कदर नहीं
मेरे लिए प्यार नहीं ...
आखिर क्यों ....?
क्यों ....?
चुभती हूं मैं किसी को
क्यों मेरी सच के सामना कोई कर नहीं पाता ...?
क्यों मैं आज सुरक्षित नहीं हूं ....?
हर पल मेरे पीछे दुश्मन खड़े है ...।
क्यों मेरी आवाज को दवाना के प्रयास है ....?
आखिर क्यों ...?
क्या मेरी आवाज
किसी को चुभती है ....?
क्या मेरी सामना करने से कोई डरते है ...?
चौथा स्तम्भ हूं मैं....
सबको खबरें देती हूं ...
फिर भी क्यों खतरे में हूं ....?
