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Bhawna Kukreti Pandey

Romance

4  

Bhawna Kukreti Pandey

Romance

चार बातें

चार बातें

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चार बातें कहनी थीं तुमसे

जिनमे से दो अब यादों की अलगनी पर भीगी सूख रहीं है,

और दो जो बिस्तर पर सुबक कर सोई पड़ी हैं।


चार बाते सुनानी थीं तुमको।

जिनमे से दो अब यादों में उलझी है आपस मे कि पहले कौन,

और दो जो देहरी पर हैं मन की, खड़ी हुई ओढ़े मौन।


चार बातें लिखनी थीं तुमपर।

जिनमे से दो अब यादों में तुमको ढूंढती हैं कि तुम खोए कहां,

और दो जो पते पर तुम्हारे ,फिराती हैं उंगलियां।


चार बातें पढ़नी थीं तुमसंग।

जिनमे से दो अब यादों में, तेरे लिखे से, तेरी दुनिया पढती है

और दो जो मेरे होने न होने पर, कविता गढ़ती है।


कहनी थीं ये चार बातें तुमसे मैंने

कभी अकेले में

जो बटाई में पाई थीं तुमसे

प्रेम की साझा लहलहाती उपज पर।



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