चांदनी रात
चांदनी रात
उस रात सफेद चांद सा चमक रहा था उसका चेहरा
रंग इश्क़ का चढ़ा था काफी गहरा
उसने आंखों ही आंखों में इश्क़ का इजहार कर दिया
और हमने भी उस चांदनी रात में खुद को उसके नाम कर दिया
लेकिन मोहब्बत में भी हम उसे शायद समझ ही ना पाये
इसीलिए तो आज अकेली रातों में भी पागलों की तरह ढूँढते हैं उनके सायें ।