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Saumya Singh

Abstract

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Saumya Singh

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अधूरा इश्क़

अधूरा इश्क़

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तेरा इश्क जिसकी अमानत थी

तेरी मोहब्बत जिस की इबादत थी

जिसके साथ के बिना तू अधूरा था

और जिसे पाकर ही तू पूरा था

आज वही तुझे देख कर नजरें फेर लेती है

अपने लिए तेरे मन में विष खोल देती है

यकीन मान तू आज की उसके ख्वाबों का शहजादा है

बस उसके दिल में गमों का बोझ थोड़ा ज्यादा है!


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