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Saibalini Rayaguru

Romance

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Saibalini Rayaguru

Romance

चांदनी की चहक

चांदनी की चहक

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उम्मीद न था तभी कभी उसे पाने की 

पर जब मिला तभी उम्मीद न थी उसे गवाने की

ये क्या बात है आज की चांदनी में 

के हम खो गए प्यार कि रागिनी में

छुप न जाना तू कहीं दिल तोड़ के 

निगाहें चुरा बादलों के चद्दर ओढ़ के 

याद है मुझे आज भी वो रात

जब थे तन्हा छत पे हम दोनों साथ

ताकते ताकते तुझे नजरें भरती नहीं थी

चांदनी तेरी लिपटी बदन से नज़रें फिसलती नहीं थी 

आज हो तुम जो दिल में समाये जाते हो 

चांद छुपा बदल में

मेरा चांद मुझे आया है नज़र

ऐ रात ज़रा थम थम के गुज़र


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