बीते कल की याद
बीते कल की याद
एक समय था
जब सड़क पर से लोग गुजरते थे
एक समय था जब बच्चे स्कूल पढ़ने जाते थे
खेलने जाते थे ,
लोग बाजार जाते थे ,
श्याम को लोगों का भीड़ दिखती थी,
श्यादी ब्याह का आवाज़ गूंजती थी ,
अब कुछ नहीं है,
किसी को कुछ नहीं पता,
कब दिन कब रात होती है
कोई नहीं जानता ,
जिंदगी के इस जंग में सब अकेले भाग रहे हैं ,
जो छूट गया वो मर गया,
जो चलता रहा वो जीता रहा ,
कुछ गए ,कुछ रहे,
जो हैं उन्हें डर है,
जो गए उनके लिए परिताप है ।
कभी ना कभी तो जाना ही था ,
सो अब क्यूं नहीं करके चले गए ,
तब जाना था अब गए ।
गए तो गए कुछ बोले नहीं गए ,
बोलने को शब्द ना था ,
शब्द हो तो वक़्त था ।