बरसात का सरदार और बूंदों का राजा
बरसात का सरदार और बूंदों का राजा
है बरसात आई लेकर उन यादों को,
जो दो बूंद पानी से हो गई ताज़ा ।
पूछते सरदार क्या बात है राजा ,
क्यों हो उदास ?
बताते हुए राजा उठते और कहते
समझ नहीं पाए हम उस इंसान रूपी देवता को,
जो आए थे करने जीवन की सच्चाइयों से रूबरू।
सालभर समय लग गया बस कुछ गहराइयों को समझते समझते ,
पर नासमझ प्रवृति ने हमारी छीन लिया हमसे उन महाशय को।
बहती हुई पानी और बीते हुए समय जैसे गए हुए, इंसान को लौटाया नहीं जा सकता ।
बोले बरसात के सरदार की तुम करते रहो कोशिश
अगर ही दिल में कशिश ,
लौटा लायेगा समय इंसान को वापस पर रखो दिल में तुम धीरज का बीज ।
