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Saibalini Rayaguru

Inspirational Children

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Saibalini Rayaguru

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वे बीते लम्हें जिन्दगी के

वे बीते लम्हें जिन्दगी के

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एक वक़्त था

जब मैं रास्ते पर लोगों को देख पाती थी 

जब मैं गाड़ियों की आवाज़ सुन पाती थी

जब मैं इंसान के अहंकार को देखी थी

जब मैं उसके गर्व को महसूस कर पाती थी 

जब मैं चिड़ियों की चहचहाहट को सुन पाती थी

जो आज भी सुन पाती

महसूस कर पाती 

और ना ही देख पाती हूं 

कहा चले गए वो दिन जिंदगी के 

जहां भी गए यह सीख गए 

की जिंदगी में अहंकार, गर्व और ऐशो आराम 

अंत तक नहीं रहता है 

कभी ना कभी सबको इसका अहसास होना ही था 

जो आज हुआ है।


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