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Kanak Agarwal

Abstract Romance

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Kanak Agarwal

Abstract Romance

चांद

चांद

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चांद

हाँ, है तो चट्टानी गोला ही

पर ना जाने क्या आकर्षण है इसमें

कितनी शीतलता है.... 


जो लुभाता है एक दुधमुंहे बच्चे को भी

प्रेमियों के दिल में धडकता है

ये महबूब बनकर

आस्था और विश्वास जगाता है.... 


सिखाता है स्थाई नहीं है कुछ भी

कभी पूनम है तो कभी अमावस

हाँ, ये चट्टानी गोला 

धरती का चांद है.....। 


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