चाँद
चाँद
कभी आधा, कभी पूरा ये आता है चाँद,
सोये अरमान अक्सर जगाता है चाँद।
कभी रत जगों का बनता है गवाह मेरे,
कभी मेरे वजूद को खास बनाता है चाँद।
कभी मेरे आँसुओं को चुपचाप देखता,
कभी थपकी देकर मुझे सुलाता है चाँद।
मेरी उम्मीदों को रोशन करता है सदा ही,
मेरी उम्मीदों को दुनिया से छिपाता है चाँद।
कभी दूधिया रोशनी में नहाकर आता वो,
कभी धवल चाँदनी बिखराता है चाँद।
कभी मन के अँधेरों को दूर करने की कोशिश,
कभी चाँदनी संग खूब इठलाता है चाँद।
तन्हा रातों में अक्सर ही साथी बनता वो,
मेरी तन्हाई को मेरे लिए खास बनाता है चाँद।