STORYMIRROR

Nandita Srivastava

Abstract

3  

Nandita Srivastava

Abstract

चाँद को मुठ्ठियों में बाँधा

चाँद को मुठ्ठियों में बाँधा

1 min
11.7K

चाँद को मुठ्ठी में बाँध लिया है

अपने गमों को चादर से ढाँप लिया है


वह देखो आशा के दीप जलाकर,

अपने गमों को आशा की चादर से ढाप लिया है,

तुम को खुश हो अपनी खुशियों

हम भी गमजदा अब नहीं रह गये है,

चाँद...............................


ना फुरसतें रही ना गम ही रहा,

हम को खुशियाँ दूर खड़ी मिल गयी हैं

बहुत रो चुके अब रोते नहींं

खुशियाँ तलाशने की वजह मिल गयी

चाँद......................


हर बात तरसते नहीं है,बिना बात के हंसते नहीं है

जो मिला वह बेहिसाब मिल गया ,

तुमको मुबारक तुम्हारी खुशियाँ

हमको मुबारक बेहिसाब गम हमारा,

चाँद...........................


हमको आ गया जीने का सलीका,अपने गमों को पीने का तरीका

तो क्या हुआ,सूखे गुलाब की पंखुडी को देखती हूँ

बस करो हाल चाल पूछना पूछाना,

बस अपने गमों को मिटाना है आया,

चाँद...................


तुम को मुबारक खुशियाँ तुम्हारी

हम को आगया जीने का सलीका,

नहींं कोई भरम मैं पालती,

अब इंतजार में नजरें भी नहीं थकती,

चाँद........



இந்த உள்ளடக்கத்தை மதிப்பிடவும்
உள்நுழை

Similar hindi poem from Abstract