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Rajeshwar Mandal

Abstract

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Rajeshwar Mandal

Abstract

चालीस पार

चालीस पार

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कुछ थका सा

कुछ ठगा सा

कुछ डरा सा

कुछ सहमा सा

या यूँ कहें

अधमरा सा

जिंदगी जी रहा हूँ मैं

या सीधे लफ्ज में कहूँ

तो चालीस पार कर गया हूँ मैं


कार्यों से थका सा

परिणामों से ठगा सा

शत्रु से डरा सा

अपनो से सहमा सा

जिम्मेदारियों के बोझ तले

अधमरा सा

जिंदगी जी रहा हूँ मैं

या सीधे लफ्ज में कहूँ तो

चालीस पार कर गया हूँ मैं


कुछ उबा सा

कुछ डुबा सा

कुछ छुटा सा

या यूँ कहे

कुछ कुछ लुटा सा

जिंदगी जी रहा हूँ मैं

या सीधे लफ्ज में कहूँ तो

चालीस पार कर गया हूँ मैं


गृहस्थी से उबा सा

पर स्वार्थ में डूबा सा

सफलता कुछ छुटा सा

प्राप्ति में लूटा सा

जिंदगी जी रहा हूँ मैं

या सीधे लफ्ज में कहूँ तो

चालीस पार कर गया हूँ मैं


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