चाहता हूँ
चाहता हूँ
बहुत दूर हुं, मैं तुमसे मिलना चाहता हूं।
थोड़ा तुम्हारे नजदीक आना चाहता हूं।।
दूर से तो कईं बार देखा हैं मैंने तुमको,
अब तुम्हें मेरे सामने बिठाना चाहता हूं।।
देखती हैं आखे मेरी बस ख्वाब तुम्हारे,
अब तुम्हें नजर भरकर देखना चाहता हूं।।
कई दिनों से कुछ सुज नहीं रहा हैं मुझे,
तुम्हें देखकर गजल लीखना चाहता हूं।।
मैंने जो बातें रखीं हैं दिल के कोने मैं ,
तुमसे मिलकर वो सब केहना चाहता हूं।।
सिर्फ दो-चार घड़ी की मुलाकात नहीं,
मैं तुम्हारे साथ जिंदगी बीताना चाहता हूं।।