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Bharat Sanghar

Others

4.2  

Bharat Sanghar

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कहानी हो जायेंगे

कहानी हो जायेंगे

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खिलकर मुरझाते हैं फुलवारी में फूल,

वैसे ही हम भी एक दिन मुरझा जाएंगे। 


तुम्हारे दिलों के बाग़ मैं कहीं हम भी,

एहसासों की खुशबू बनकर रह जायेंगे। 


हम महसूस होंगे हवा की तरहा, जैसे 

फिसलती हैं मुट्ठी से वो रेत हो जाएंगे। 


देखोगो दूर से मगर तुम छू नहीं पाओगे,

एक दीन हम भी वो आसमां हो जायेंगे। 


बहती नदी की तरहा कहीं खो जायेंगे,

फिर बूँद से दरीया का पानी हो जायेंगे।


खिलता सवेरा कभी वो दोपहर की धूप,

फिर धीरे-धीरे ढलती हुईं शाम हो जायेंगे।


दिन के उजाले मैं कहीं नजर न आयेगा,

रातों को आनेवाले वो ख्वाब हो जायेंगे।


कभी ज्वाला सी आग तो कभी अंगारे,

फिर आखिर में बुझकर राख हो जायेंगे।


कुछ अधूरी बातें कुछ अधूरी मुलाकातें,

सफर में नहीं हम सब यादों में रह जाएंगे। 


कुछ अच्छी बुरी यादें छोड़ जायेंगे, तुम्हें

थोड़ा बहुत देकर कुछ लेकर नहीं जायेंगे।


मुहब्बत से रहिए और प्यार बांटिये "भरत"

किसी दिन सुनी सुनाई कहानी हो जायेंगे।


नोट: कविता में पंच तत्व के नाम हैं। 


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