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Kanchan Prabha

Comedy Romance

4.5  

Kanchan Prabha

Comedy Romance

बुढ़ापे में प्रेमान्जली

बुढ़ापे में प्रेमान्जली

1 min
310


बहुत दिनों के बाद आज ये क्या हुआ है

प्रेम का वही अंकुर आज फिर जवाँ हुआ है


हो रहा आज मुुुझसे ये कैसा जुर्म

होने को आई है अब साठ की उम्र


अब टिकी हुई है बाकी जिंदगी मेरी दवा पर 

फिर भी उड़ने को तैयार हूँ अब भी मैं हवा पर


नत्नी नाती पूछ रहे कि नाना तुमको हुआ ये क्या

दर्पण में खुद को निहारते आखिर करते रहते क्या


कोई मुझको भाया इतना कैैैसे उनको बतलाऊँ मैं 

जी करता है कभी कभी ले उसको भाग जाऊँ मैं 


क्या कहूँ उसका चाँद सा मुखड़ा जो देखा 

भूल गया अपनी ये ढलती उम्र की रेेेखा


लोग भी अब मुुुझको बुरी तरह घूरने लग गये 

नींद से सोये पड़ोसी भी कान खड़े कर जग गये


इतना प्यार करने लगा कि नींद मुुुझे अब आती नही

आती है तो फिर सपनों मेें वो,अपने घर को जाती नही


दे भी नहीं सकता इसको अब तो मैं तिलांजली 

बड़ी मुश्किल होता है जीवन के इस मोड़ पर प्रेमान्जली !


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