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Richa Pathak Pant

Fantasy

3.8  

Richa Pathak Pant

Fantasy

बुरा न मानो होली है

बुरा न मानो होली है

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फेसबुक पर अकाउंट जो खोले होते

कान्हा, काहे खेलते गोपियन संग होरी।

आते ऑनलाइन और कह डालते,

विशिंग ऑल माय गोकुल फ्रेंड्स,

'ए वेरी हैप्पी एंड कलरफुल होली।'


काहे बिलखतीं गोपियाँ भी कान्हा बिन,

जब जी चाहे, करतीं विडियो कॉलिंग।

और जो मेकअप न किये रहतीं,

तो करती रहतीं, फिर सिर्फ़ चैटिंग।



आयोजित करते फेसबुक पर वॉच पार्टी,

मिलकर के सारे के सारे ग्वाल - बाल।

न लगता रंग कोई गोरे-गोरे गालों पर,

न मलता कोई गुलाबी-लाल गुलाल।



चलते दौर बधाइयों के वट्सएप ग्रुपन में,

वहीं फॉरवर्ड करते सब विशेज ऑफ होरी।

ऑनलाइन ही पड़तीं फुहारें और बौछारें,

रह जातीं सूखी सब गोकुल गाँव की गोरी।



ऑनलाइन आ तब राधे रानी कहतीं,

अरे ओ! कान्हा! कब अइयो खेलन होरी।

फौरन टिकट कटवाय डारो पिलेन का,

न बीते होरी हमारी, तुम बिन कोरी-कोरी।


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