चरैवेति चरैवेति
चरैवेति चरैवेति
सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।
चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।
भूल जा थकन सृजन की, न सोच आराम।
भूल जा क्या मिलेगा तुझे प्रतिफल में दाम।
रुके तू तो मस्तिष्क भी हो अवरुद्ध और जाम।
न डर, न ठहर चाहे हो कितनी भी क्यों न घाम।
सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।
चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।
इस अग्निपथ पर चलते जाना ही तेरा काम।
थके कदम रुकें नही, चाहे उखड़े पैरों का चाम।
न चाह थके अंगों पर तेरे, मले कोई बाम।
चला चल राही, न ले कहीं पर भी विराम।
सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।
चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।
कितना ही हो बोझा सर पर, कैसा ही ताम-झाम।
तुझे अटका सके न कोई, राह की टीम-टाम।
न सोच बढ़ेंगी बाँहें कोई, लेने को तुझे थाम।
दे सहारा खुद से खुद को, दाहिने हो या वाम।
सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।
चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।
जगत कर्मभूमि तेरी, तुझे काहे का विश्राम।
हो ऋणमुक्त तू, दे आहुति में अपने प्राण।
जो रोकें राह तेरी, कर उन शत्रुओं को तमाम।
न देखे तलवार कभी तेरी, क्या होती है म्यान।
सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।
चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।
