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Richa Pathak Pant

Inspirational

5.0  

Richa Pathak Pant

Inspirational

चरैवेति चरैवेति

चरैवेति चरैवेति

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सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।

चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।


भूल जा थकन सृजन की, न सोच आराम।

भूल जा क्या मिलेगा तुझे प्रतिफल में दाम।


रुके तू तो मस्तिष्क भी हो अवरुद्ध और जाम।

न डर, न ठहर चाहे हो कितनी भी क्यों न घाम।


सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।

चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।


इस अग्निपथ पर चलते जाना ही तेरा काम।

थके कदम रुकें नही, चाहे उखड़े पैरों का चाम।


न चाह थके अंगों पर तेरे, मले कोई बाम।

चला चल राही, न ले कहीं पर भी विराम।


सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।

चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।


कितना ही हो बोझा सर पर, कैसा ही ताम-झाम।

तुझे अटका सके न कोई, राह की टीम-टाम।


न सोच बढ़ेंगी बाँहें कोई, लेने को तुझे थाम।

दे सहारा खुद से खुद को, दाहिने हो या वाम।


सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।

चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।


जगत कर्मभूमि तेरी, तुझे काहे का विश्राम।

हो ऋणमुक्त तू, दे आहुति में अपने प्राण।


जो रोकें राह तेरी, कर उन शत्रुओं को तमाम।

न देखे तलवार कभी तेरी, क्या होती है म्यान।


सुबह हो या शाम चलना जीवन का नाम।

चरैवेति चरैवेति, न लेना थकने का नाम ।



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