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Richa Pathak Pant

Others

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कान्हा न डारो गुलाल

कान्हा न डारो गुलाल

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कान्हा न डारो गुलाल।

कान्हा न डारो गुलाल। 

कान्हा न डारो गुलाल। 


सुन कर बतियाँ रस भरी तोरी,

हुए मोरे गुलाबी गाल।

कान्हा न डारो गुलाल। 


रंगना ही है तो रंग दे मोहे, 

प्रीत में अपनी लाल।

कान्हा न डारो गुलाल। 


रंग दे चूनर धानी मोरी, 

ओढ़ूँ मैं जिसको संभाल।

कान्हा न डारो गुलाल। 


होवें न अँखियाँ धूसर मोरी, 

थकूँ जो मैं पंथ तेरा निहार। 

कान्हा न डारो गुलाल। 


देख के तोहें खिलूँ मैं हरी-हरी, 

ज्यों बरखा में जलकुम्भी ताल। 

कान्हा न डारो गुलाल। 


दमके मुखड़ा ज्यों सूरजमुखी पीला, 

जो तू चितवन अपनी दे डाल। 

कान्हा न डारो गुलाल। 


रंग ले अपने रंग में मोहे, 

कर दे नील पग से कपाल। 

कान्हा न डारो गुलाल। 


कान्हा न डारो गुलाल। 

कान्हा न डारो गुलाल। 

कान्हा न डारो गुलाल। 



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