कान्हा न डारो गुलाल
कान्हा न डारो गुलाल
कान्हा न डारो गुलाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
सुन कर बतियाँ रस भरी तोरी,
हुए मोरे गुलाबी गाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
रंगना ही है तो रंग दे मोहे,
प्रीत में अपनी लाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
रंग दे चूनर धानी मोरी,
ओढ़ूँ मैं जिसको संभाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
होवें न अँखियाँ धूसर मोरी,
थकूँ जो मैं पंथ तेरा निहार।
कान्हा न डारो गुलाल।
देख के तोहें खिलूँ मैं हरी-हरी,
ज्यों बरखा में जलकुम्भी ताल।
कान्हा न डारो गुलाल।
दमके मुखड़ा ज्यों सूरजमुखी पीला,
जो तू चितवन अपनी दे डाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
रंग ले अपने रंग में मोहे,
कर दे नील पग से कपाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
कान्हा न डारो गुलाल।
