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Richa Pathak Pant

Others

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Richa Pathak Pant

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अइयो खेलन होरी

अइयो खेलन होरी

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कान्हा अइयो गोपियन संग खेलन होरी।

सौगंध तोहे जो सौगंध तुमने हमरी तोरी।


काहे रूठे तुम मोसे कान्हा, भूले प्रीत मोरी।

कैसे गयी ऐसे तुमसे, नगरिया हमरी छोरी।


क्या दूर जाकर तुमने टोली अपनी नई जोरी।

भूल गये सब राग - रंग, भूल गये जोरा जोरी।


कान्हा अइयो गोपियन संग खेलन होरी।

सौगंध तोहे जो सौगंध तुमने हमरी तोरी।


तुम न डारो रंग तो रह जाये चूनर भी कोरी।

है आस अब ये कि न तोड़ोगे आस तुम मोरी।


न आओ तो न पठाओ फागुन की रुत ये निगोरी।

मधुबन तुमसे काहे मुस्कान अपनी न जाय छोरी।


कान्हा अइयो गोपियन संग खेलन होरी।

सौगंध तोहे जो सौगंध तुमने हमरी तोरी।


याद परत है नटखटपन तुमरा औ' माखनचोरी।

भूलत न भूले हमको सब तुमरी छेरा - छेरी।


तुम बिन हियँ को चैन परत ना देर भी थोरी।

बुझ गईं सब तुम बिन गोकुल गाँव की गोरी।


कान्हा अइयो गोपियन संग खेलन होरी।

सौगंध तोहें जो सौगंध तुमने हमरी तोरी।


तोरो न आस जैसे गगरिया तुमने दईं फोरी।

निठुर हुए तुम, हमको अब भी आस है तोरी।


आओ तो पूछ डारूँ तुमसे पकड़ तुमरी ठोरी।

तोड़नी ही थी तो बाँधी काहे प्रीत की डोरी।


कान्हा अइयो गोपियन संग खेलन होरी।

सौगंध तोहें जो सौगंध तुमने हमरी तोरी।



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