कौन मुझे बहलाए ? अलार्म के थपेड़ों से जागती हूँ, आगे बढ़ने से डरती हूँ, कि कहीं चूक न हो जाए,... कौन मुझे बहलाए ? अलार्म के थपेड़ों से जागती हूँ, आगे बढ़ने से डरती हूँ, क...
टूटी हुई आस है ज़िन्दगी ये धुआँ है पत्थरों का शहर है कोई इंसा ही कहाँ है टूटी हुई आस है ज़िन्दगी ये धुआँ है पत्थरों का शहर है कोई इंसा ही कहाँ है
गुज़रे ज़माने, भूले रिश्तों से, क्यों नहीं नाता तोड़ू मैं। गुज़रे ज़माने, भूले रिश्तों से, क्यों नहीं नाता तोड़ू मैं।
जिनके दुख से रिसती रहती है नदियों- सी पीर जाता जहां थकान मिटाने मेरा तप्त शरीर जिनके दुख से रिसती रहती है नदियों- सी पीर जाता जहां थकान मिटाने मेरा तप्त शर...
भूल जा थकन सृजन की, न सोच आराम। भूल जा क्या मिलेगा तुझे प्रतिफल में दाम। भूल जा थकन सृजन की, न सोच आराम। भूल जा क्या मिलेगा तुझे प्रतिफल में दाम।
ले अंगड़ाई,दीपशिखा सा, धंस गया सरिता के अंदर.. ले अंगड़ाई,दीपशिखा सा, धंस गया सरिता के अंदर..