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Sajida Akram

Inspirational

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Sajida Akram

Inspirational

"अलार्म"

"अलार्म"

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अलार्म के थपेड़ों से जागती हूँ,

माँ तेरी प्यारी पुकार की याद आती है,

चोटी करनी आती नहीं,

टेड़ी-मेढ़ी बांध लेती हूँ,

सब हंसते-चिढ़ाते हैं,

झगड़ा हो जाता है मेरा,

तंग आकर बाल कटवा लिए हैं।


कौन मुझे बहलाए ?

अलार्म के थपेड़ों से जागती हूँ,

आगे बढ़ने से डरती हूँ,

कि कहीं चूक न हो जाए,

अंधेरे में चलने से डरती हूँ,

कि कहीं गिर ना जाऊँ।


अलार्म के थपेड़ों से जागती हूँ,

वहीं तेरे हाथ थामने की याद आती है,

तेरे चिराग़ बनकर ,

राह बांटने की याद आती है,

थकन कि थपकियों से,                  

निदिंया मुझे आ जाती है

माँ तेरी हथेलियों कि थपकियाँ,

बहुत याद आती है,

अलार्म के थपेड़ों से जागती हूँ।


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