बुनाई
बुनाई
कभी कढ़ाई से तो कभी बुनाई से।
रिश्तों का कद बढ़ाया है हमने
खूबसूरत सिलाई से।
पैबंद न लगे कभी।
इसलिए पैमाने पर भी
नाप लेते हैं हम कभी कभी।
जाले न लगे इसलिए बार-बार
झाड़ लेते हैं सभी।
रिश्तों को संभाल लेते हैं बढ़ आगे सभी ।
कभी कढ़ाई से तो कभी बुनाई से।
रिश्तों का कद बढ़ाया है हमने
खूबसूरत सिलाई से।
पैबंद न लगे कभी।
इसलिए पैमाने पर भी
नाप लेते हैं हम कभी कभी।
जाले न लगे इसलिए बार-बार
झाड़ लेते हैं सभी।
रिश्तों को संभाल लेते हैं बढ़ आगे सभी ।