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DR. RICHA SHARMA

Classics

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DR. RICHA SHARMA

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बुढ़ापे की सनक

बुढ़ापे की सनक

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बुढ़ापे की सनक जब बुजुर्गों को बना देती है बालक के समान।

तब बुजुर्ग जोड़ा करने लगता है हरकतें बन कर नादान।।


जब बुढ़ापे की आ जाती है अवस्था।

तो शरीर की हालत होने लगती है खस्ता।।


तब सदस्यों की वार्ता में नहीं दिखती सरसता।

बुजुर्ग रहता है पारिवारिक प्यार को तरसता।।


कभी नहीं करना चाहिए हमें बुजुर्गों को नज़रअंदाज़।

वो तो वास्तव में होते हैं हमारे खानदान के सिरोताज।।


बुजुर्ग माता-पिता के आशीष में छिपा होता है ऐसा राज़।

जीवन में कभी न रूकने वाले सिद्ध होते हैं सारे काज।।


बुढ़ापे में बुजुर्गों को बड़े प्रेम से संभाला जाता है।

सच कहूं तो बालकों के समान पुनः पाला जाता है।।


हंसते-मुस्कुराते हुए ऐसा हिंडोला झूला जाता है।

बुढ़ापे की सनक का अद्भुत जाम पी लिया जाता है।।


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