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Kuhu jyoti Jain

Abstract Inspirational

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Kuhu jyoti Jain

Abstract Inspirational

बुद्ध

बुद्ध

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जो निरहंकारी बनूँ तो बुद्ध हो जाऊं

जो सम्यकधारी बनूँ तो बुद्ध हो जाऊं

जो सोच सकूं आत्मा को तन से पृथक  

जो सोच सकूँ देह को मन से अलग

जो छोड़ सकूँ प्रेम अपनी प्रियतमा का

जो तज सकूँ विलासिता से महल भरा

जो तप सकूँ आत्मा की शुद्धि में तो बुद्ध हो जाऊं

जो रम सकूँ असीमता की शक्ति में तो बुद्ध हो जाऊं

नहीं है सहज बुद्ध हो जाना 

स्व को परे कर पर को अपनाना

मैं नहीं हो पाऊँगी बुद्ध कभी

प्रेम मुझे नहीं तजने देगा कुछ भी



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