Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Bhanu Soni

Tragedy

4  

Bhanu Soni

Tragedy

बस एक सवाल ही तो है

बस एक सवाल ही तो है

2 mins
409



आलम है खुशियों का, पर मन में एक सवाल है। 

मन में एक सवाल है, इसलिए दिल भी कुछ उदास है।

इस दिल की खुशी की खातिर, क्या जवाब आप देंगे? 

बताइये ना...................


सवाल जुड़ा है, नारी के सम्मान से, 

उसके समझौतों से, उसके बलिदान से, 

यह सवाल उतरता आ रहा समय के पायदान से, 

क्या मेरी इस समस्या का समाधान, आप करेंगे?

बताइये ना..................... 


कहने को तो औरत इस, सृष्टि की जननी कहलाती है, 

पुरुष के संग शास्त्रार्थ करने वाली, अर्धांगिनी मानी जाती है। 

फिर क्यूँ भला उसके जन्म पर, मायूसी छा जाती है? 

औरों को जीवन देने वाली, कोख में ही दफ़न कर दी जाती है। 

पारितोषिक मिला यह जो उसे, अपने ही वरदान का, इसका मूल्यांकन, आप करेंगे? 

बताइये ना.................... 


बचपन की कहानी तो यूँ ही गुजर गयी, 

फिर उमड़ आया वक्त जवानी का, 

मर्यादाओं के बंधन उभरे, समय बना परेशानी का। 

एक हाथ में आँचल थामें, दूजे में समय का हर पल, 

हर बंधन का निर्वाह ये करें, फिर भी बरसते है शंका के बादल। 

शंका के इन बादलों का दमन..... आप करेंगे? 

बताइये ना................ ...


उम्र के इस मोड़ पर पहले, वह अपनों का विश्वास खोती है। 

सच्चाई के दामन में छिपकर, सिसक -सिसक कर रोती है। 

हुई ख़ता क्या? सोच -सोच कर, एक पल चैन से न वो सोती है। 

अविश्वास के गागर को तोड़ कर, विश्वास आप करेंगे? 

बताइये ना.................. 


आज के इस युग में नारी, सशक्त मानी जाती है

मर्यादाओं में बंधी वास्तव में,

वह समझौतों की कहानी है। 

पराई है, वो बाबुल के लिए, पर गैरों की रवानी है, 

और इसीलिए विवाह में उसके,मुँहमांगी रकम मांगी जाती है। 

जब दान किया, कन्या रुपी धन, 

फिर, दहेज भला किसलिए? 

बताइये ना......... .....


विवाह बंधन है, प्रेम का, यह खुशियों की घड़ी होती है, 

इसकी जरूरत लडकी को कम, वर पक्ष को अधिक होती है। 

साजन के घर -बार के खातिर, बेटी अपना अस्तित्व खोती है। 

उसके इस समर्पण का, मोल क्या देंगे? 

बताइये ना.......... ........  


अवसर मिला तो चाँद जीत लिया, 

पताका फहराया अंतरिक्ष पर। 

विजित किया, शासन दुनियां का, 

बेटियाँ आज सुशोभित, सर्वोच्च शिखर पर। 

बोझ है बेटी, बाप के कंधों पर, यह दृष्टिकोण कब बदलेंगे? 

बताइये ना................... 


बेटी नहीं बेटों से कम, ये बात आज जग-जाहिर है

घर-परिवार, समाज, व्यापार, बेटी हर क्षेत्र में माहिर है, 

बेटी मिशाल है दुनिया के लिए, जो मान गये वो ज्ञानी है। 

जो चुप हैं अब भी देख कर ये सब, वे परंपरा के अभिमानी है। 

रूढ़ियों के लब्बों में दबा यह मौन, आप भला कब तोड़ेंगे? 

बताइये ना............... .....


कहने को तो देश हमारा, 21वीं सदी का भारत कहलाता है 

आश्चर्य है, फिर भी यहां, बेटो और बेटियों में फर्क किया जाता है, 

कुछ को बेटी होने के गुनाह में, कुछ को वसीयत के अंगारों में, 

कुछ को कचरे के पात्रों में, निर्मम फेंक दिया जाता है। 

सवाल है, जब रहेगी ही नहीं बेटियाँ संसार में, ये फर्क भला किससे करेंगे? 

बताइये ना.............. .......

बता दीजिए................ बस एक सवाल ही तो है।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy