बस एक कोशिश और............
बस एक कोशिश और............
क्या खौफ़ है तुमको
क्या डर है तुमको
क्यों खो रही है खुदको
क्यों भूल रही है सपनों को
शायद तुम से ना हो पाएगा
ये सोच कर रोक रही हो खुदको ?
हां ,मैं जानती हूं ,जानती हूं
तुम कल की हार से परेशान हो
तुमने क्या खोया है ये सोच कर
हैरान हो
कहानियों के नायक ना बन सके
अब ये बात तुम्हे सच्ची नहीं लगती
ऐसे वक़्त में हार के जीतने वालो कि काहानियां अच्छी नहीं लगती
हां मेरे भी सपने टूटे है, मैं सब जानती हूं
मैं जानती हूं, कुछ वक़्त तुम टूटे ख्वाब के मंज़र के ही पास रहोगेे
लेकिन फिर से कोशिश नहीं की तो ज़िन्दगी भर उदास रहोगेे
ये बात तुम्हे माननी होगी
सब कुछ भूल कर आगे बढ़ना होगा
बस एक कोशीश और करना होगा
बस एक कोशीश और करना होगा
अपने सपनों की तरफ़ फ़िर से उड़ान भरना होगा
अब इन हालातो से कुछ कहना होगा ।
अब खामोश बैठना ठीक नहीं
बस एक कोशिश और करना होगा
बस एक कोशिश और करना होगा
किस्मत से लड़ के आगेे बढ़ना होगा
टूटे ख्वाबो से फिर आशियाना बनाना होगा
बस एक कोशिश और करना होगा
बस एक कोशिश और करना होगा
ठिठुरती ठंडी में धूप के किरणों से मुलाकात होगा
जिस आंगन की मिट्टी पे टपकती थी
आंंखो से बूंदें उसी गीली मिट्टी की सोंधी खुशबू से जीवन महकेगा
बस एक कोशिश और करना होगा
बस एक कोशिश और करना होगा।
