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Anandbala Sharma

Drama

3  

Anandbala Sharma

Drama

बस ऐसे ही

बस ऐसे ही

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बस ऐसे ही

बस ऐसे ही

यों ही सी जिंदगी 

बहती रही पानी सी


हर रंग में रंगी

हर ढंग में ढली

हर मोड़ पर मुड़ी

हर राह पर चली


सोपान तो बनी,

मंजिल न बन सकी

बस ऐसे ही

यूँ ही सी जिंदगी 


लगती है एक कहानी सी

पता नहीं क्या है सच

हालात ने मुझे बनाया 

या हालात में ढली मैं

मानो दोनों ही सच हैं


आधे अधूरे सच,

जाने अनजाने सच

बस ऐसे ही

यूँ ही सी जिंदगी 

लगती है अबूझ पहेली सी


वक़्त बदला, सोच बदली 

सुबह हुई, साँझ ढली

धूप निकली खिली खिली

जैसी थी चाही जिंदगी मिली

साज बदला राग बदला,


जीने का अंदाज बदला

बस ऐसे ही

यूँ ही सी जिंदगी 

अब लगने लगी सुहानी सी।


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