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GOPAL RAM DANSENA

Abstract

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GOPAL RAM DANSENA

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बर्थ डे

बर्थ डे

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मैं खुश था बर्थ डे

जो आने वाला था I

ढेर सारा, गिफ्ट

जो पाने वाला था I


पर कोरोना पर पापा का

कमाई न हुआ था I

पुराने कर्ज का भी

भरपाई न हुआ था I

गरीबों की गरिमा

भवसागर जानता है I


रूखी सुखी खाकर

ईमान में दाग न लानता है I

तारीख आ गया

दिन सोमवार का

शाम को खुशियां थी

घर परिवार का


शाम हुआ घर आए

पापा कुछ न लाए थे

नंगे पैर उनके

धूल से नहाए थे

बोले "बेटा काम न मिला

गिफ्ट अगले वर्ष लाऊंगा


तेरे बर्थ डे पर

डबल पैसा लगाऊँगा

रुपये भर का चाकलेट

उन्होंने जेब से निकाला था

मायूसी के आसुओं से

आंख को धो डाला था

मैंने अपनी गुल्लक फोड़ा


पास गया एक दुकान पे

पचास का चप्पल खरीदा

वापस आया मुस्कान से

पापा मेरे मलाल न करना

आज आपकी पारी नहीं है


गिफ्ट तो मैं दूँगा

जो कोई उधारी नहीं है

आप ही रहना साथ मेरे

गिफ्ट का कोई सरोकार नहीं है

चरण पोंछ माथ लगाया

जिससे बड़ा कोई संसार नहीं है I


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