बरसात
बरसात
मुसीबतों की तपिश से
परेशां जिंदगी ठहर सी गई है
ना पहले सा उल्लास है
खोये पलों की तलाश है
अतृप्त सी जिंदगी की
कहां बुझेगी प्यास
महज ओस से
वो तो व्याकुल है कुछ बूंद
बरस जायें अम्बर से
सूखी बंजर जमीं पर
फिर खिल उठें
पुष्प मुस्कराहटों के
स्वर सुनाई दें
खुशियों की आहटों के,
यकीनन
होगा एक दिन
बरसेगी गगन से
खुशियों की बरसात
गायेगी जिंदगी
नाच उठेगी फिर
भीग उस बरसात में....