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Neeraj pal

Inspirational

4  

Neeraj pal

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ब्रह्म विद्या

ब्रह्म विद्या

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अध्यात्म का ही दूसरा रूप

"ब्रह्म विद्या" कहलाती है।

सार जगत का इसे तुम जानो

परमात्मा का ज्ञान कराती है।।


शुद्ध, सरल व्यवहार है बनता

कीचड़ में जैसे कमल है खिलता।

माया उसको छू भी न सकती

परम शांति का सुख है मिलता।।


आनन्द अनुभूति ब्रह्मविद्या कराती

निज स्वरूप का भान है कराती।

निज अस्तित्व को वह भूल बैठता

संकल्प-विकल्प को दूर है भगाती।।


सत् ,रज् ,तम् से घिरा जो प्राणी

प्रकृति को ही वह गले लगाता।

साम्यवस्था इस विद्या से आती

आत्मा के सापेक्ष वह खुद को पाता।।

 

आत्मबोध बिन गुरु नहीं होता

बिन सत्संग विवेक न मिलता।

"नीरज" समर्पित गुरु चरणो में

गुरु चाहत की सिर्फ कामना करता।।


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