बरगद।
बरगद।
एक पेड़ बरगद का,
जैसे छाया पिता की।
जिसकी सूखी पत्तियों में,
उनके शरीर की झुर्रियां।
जिसके तने की खरोचें,
उनके सफेद पके बाल।
जिसकी मजबूत टहनियाँ कराती,
उनकी सुरक्षित बाँहों का एहसास।
जिसकी छोटी छोटी शाखायें,
उनके आस पास हमारा अस्तित्व।
जिसकी जमीन के अंदर की जड़ें,
उनके साधरण व्यक्तित्व की पहचान।
जिसके ऊपर बंधे हुए धागे,
उनकी उम्र के कठिन अनुभव।
रहेगी हमें जरूरत जिसकी हमेशा,
एक पेड़ बरगद का,
जैसे छाया पिता की।
