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Nand Kumar

Tragedy

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Nand Kumar

Tragedy

बृद्धावस्था मे प्रेम

बृद्धावस्था मे प्रेम

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जिंदगी की अवस्था है अन्तिम कठिन ,

बोझ बन जाते वो बोझ ढोया है जिन।

परवरिश की पढाया लिखाया जिन्हे, 

आज वो कैसे निष्ठुर हुए दिन व दिन।।


प्रेम एक भाव ऐसा जो सबको रुचे,

इसके बिन सूना सूना जहां सब लगे।

है युवा बाल अरु बृद्ध सबके लिए ,

पर मिले पुण्य जीवन मे जिसके फले।।


तन हुआ जीर्ण जब ढीले बंधन हुए ,

रोग रिपु ने लिया घेर आकर के जब।

तब विवश वेशहारा वो यह चाहते,

प्रेम के शब्द कानों मे आएगे कब।।


प्रेम सम्मान धन और जीवन दिया ,

ना कभी आप ऋण वो चुका पाएंगे।

प्रेम से बोल कर थोडा देकर समय,

आप दिल मे सदा को ही बस जाएंगे।।


वो भले मुंह से कुछ हो न कहते मगर,

वेदना सूनापन उनका समझा करो।

प्रेम की चाहना ही उन्हे सिर्फ अब ,

पास कुछ पल बिता मोद उनमे भरो।।


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