बृद्धावस्था मे प्रेम
बृद्धावस्था मे प्रेम
जिंदगी की अवस्था है अन्तिम कठिन ,
बोझ बन जाते वो बोझ ढोया है जिन।
परवरिश की पढाया लिखाया जिन्हे,
आज वो कैसे निष्ठुर हुए दिन व दिन।।
प्रेम एक भाव ऐसा जो सबको रुचे,
इसके बिन सूना सूना जहां सब लगे।
है युवा बाल अरु बृद्ध सबके लिए ,
पर मिले पुण्य जीवन मे जिसके फले।।
तन हुआ जीर्ण जब ढीले बंधन हुए ,
रोग रिपु ने लिया घेर आकर के जब।
तब विवश वेशहारा वो यह चाहते,
प्रेम के शब्द कानों मे आएगे कब।।
प्रेम सम्मान धन और जीवन दिया ,
ना कभी आप ऋण वो चुका पाएंगे।
प्रेम से बोल कर थोडा देकर समय,
आप दिल मे सदा को ही बस जाएंगे।।
वो भले मुंह से कुछ हो न कहते मगर,
वेदना सूनापन उनका समझा करो।
प्रेम की चाहना ही उन्हे सिर्फ अब ,
पास कुछ पल बिता मोद उनमे भरो।।