बनफूल
बनफूल
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खड़े खड़े चिलमनों के पांव फूल गए
बैठे बैठे कुर्सियाँ सेठ बन गई
मेज पर धूल ने दो मंजिला मकान बना दिया
झलते पंखों से इंसानों की हवा निकल गई
कुरेदते ज़ख्म रंगबिरंगी रंगों में लरज गए
शानों पर बैठी लाशें आलीशान इमारतों में दुल्हन बन गई
आँधियों ने बन फूल को थपेड़ों से औंधा कर दिया
बेमौसम बारिश समंदर को कत्ल का गुनहगार साबित कर गई
इल्तिजा बस इतनी थी वह करवट पर लेट जाए
चुटकी भर अंधेरे से 'नालन्दा' की झपकी हो गई