Praveen Gola

Inspirational

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Praveen Gola

Inspirational

बंद पिंजरे में

बंद पिंजरे में

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बंद पिंजरे में तोते को खाना खिलाती,
एक महिला जीवन की कहानी सुनाती।

धर्म, जाति, बोली का भेद खोल देती,
इंसानियत की भावना सब में संजो देती।

निर्जनता की दुनिया में वह अकेली,
पंखों की चहक, सपनों की आकेंद्री।

मानवता के पंखों से वह संवारती,
जीवन की राहों में खुद को तपाती।

हजारों बंधनों की बाधा और सीमायें ,
फिर भी वो संघर्ष के रंग में नहाये  |

जब सूरज ऊँचे आसमान से जलता,
तभी उसकी आँखों में प्यार बहता।

कोई नहीं था देखने, सुनने वाला,
उसकी हर बात में मुस्कान का जाला |

जीने की हिम्मत, भरोसे की बहार,
वो अपनी आत्मा से करती सच्चा प्यार |

पिंजरे में जो रहता प्रकृति की जुबान,
दुनिया को समझाती दो उसे मान |

जब जीवन का आवास दबाव में रहा,
उसी समय उसने बंद पिंजरे में दर्द सहा | 

सदैव वह बंद पिंजरे में शान्ति बनी,
महिलाओं की वीरता में छाँव घनी |

बंद पिंजरे में तोते को खाना खिलाती,
एक महिला जीवन की कहानी सुनाती ||




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